सोशल मीडिया का सामजिक दायित्व
-सुनीता
राजीव
एक क्लिक आपको दुनिया के किसी भी कोने से जोड़ सकता है I विचारों को पृथ्वी के दूसरे भाग में पहुंचाने में आज पलक झपकने का समय भी नहीं लगता।सोशल मीडिया ने जनमानस को समसामयिक मुद्दों से जोड़ने का अद्भुत भूमिका निभाई है I समाचार आपको तथ्यों की जानकारी देते हैं पर सोशल मीडिया आपके विचारों को गढ़ने का अनमोल रोल निभाती है।
फेसबुक , इंस्टाग्राम से ले कर व्हाट्स एप्प तक ,ब्लॉग से ले कर यू ट्यब तक , सभी की उपयोगिता और नशे ने हमारी जीवन के कई घंटे अपने नाम नीलाम कर रखे हैं।
व्हाट्स एप्प के छोटे बड़े सन्देश,दो या तीन मिनट के वीडियो ,हमारी सोच ही बदल
देते हैंI ३ मई २००९ को भारत में व्हाट्स एप्प आया और आज के समय में १५ मिलियन लोग भारत में ही इसे इस्तेमाल कर रहे है। इसके पहले २६ सितम्बर २००६ से फेसबुक ही हर दिल अज़ीज़ था
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विवेकानंद ने कहा था-"दूसरों से वो सब सीखो जो उनके पास अच्छा है ,पर उस शिक्षा को अपने परिवेश के अनुसार ढालो , उनकी परछाईं बन कर ना रह जाओ। " आज सोशल मीडिया को इस कथन का मर्म पहचानना है। देश में अलगाववादी
ताकतें सोशल मीडिया को अपना हथियार बना कर ऐसे बीज बो रही हैं कि आज का युवा भी दिग्भ्रमित होता जा रहा है। लोगों के विश्वास पर गाज तब गिरी जब ४ अप्रैल २०१८ के फेसबुक के ८७ मिलियन चहेतों को पता चला कि उनकी निजी जानकारियों को आम कर दिया गया है। सोशल मीडिया के ठेकेदार अरबों कमा रहे हैं पर अपनी ज़िम्मेदारियों के प्रति सजग नहीं हैं.
समाज में क्या वीभत्स हो रहा है ,कितने षड़यंत्र रचे जा रहे हैं , कहाँ के अध्यापक अज्ञानी या क्रूर हैं -ऐसे वीडियो और मैसेज बहुत जल्दी वायरल होते हैं। पर समाज में क्या भला हो रहा है, उसके सन्देश कभी कभी ही आते हैं।
सोशल मीडिया आज हमारे जीवन का अपरिहार्य अंग है। इस अंग को अपना वजूद पूरे शरीर के स्वास्थय के लिए उपयोगी बनाना होगा। ज़रा सी बीमारी हमारे जीवन को दुष्कर बना देती है। बहुजन हिताय बहुजन सुखाय के आदर्श को अपनाने पर ही सोशल मीडिया रामबाण का काम कर सकती है अन्यथा आने वाले समय में ये रोग का रूप ले लेगी।
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