Thursday, November 16, 2017

दुर्गा बनना है!

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दुर्गा बनना है हमें और कोई विकल्प नहीं
शक्ति स्वरूपा बनें और कोई संकल्प नहीं।


पूजा दो दिन हमें , जब भी नौराते आए
बाकी दिन सब से हमको छुपाती रहीं माएँ।
कहीं न हश्र हमारा भी हो निर्भया की तरह
उतारती रहीं वो हर रोज़ हमारी बलाएँ।

अब ना छुपना है हमें ,ये कोई विकल्प नहीं !
दुर्गा बनना है हमें और कोई संकल्प नहीं

बढ़े जो हाथ आँचल की तरफ तो पल में,
बनूं मैं अष्टभुजी और कहर बरपा दूँ
उठे नज़र जो कभी चीरने मेरे तन को
उसे अंधेरों के सही मायने मैं समझा दूँ।

अब न डरना है मुझे, रुकना है अब विकल्प नहीं
बनना है दुर्गा मुझे, अब तो है संकल्प यही।

नहीं मांगूंगी मैं जग से कि समान हक दो मुझे
ना याचना मैं करूँगी कि पैदा होने दो!
नहीं कोई भीख अधिकारों की, गरज है मुझे
ना दर्जा दो मुझे बराबरी का दया कर के।

बना इंसानियत का कोई भी विकल्प नहीं,
मुझे इंसान मान के चलो, संकल्प यही।

ना करो ढोंग कि देवी हूँ मैं, ना पूजा ही करो
न मुझे सुघढ़ता के सांचे में यूं दफ्न ही करो
प्यार से सेवा सारे जग की मैं कर सकती हूँ,
मुझे नीचा समझने की भूल तुम हरगिज़ ना करो।

मेरी शक्ति है आत्मबल,करो संकल्प यही
बेटी हूँ, बेटियों का कोई भी विकल्प नहीं।

Monday, November 6, 2017

कह नानी -ऐसी कहानी

कह नानी -ऐसी कहानी
नानी कह तू एक कहानी,
फोन ना भाता,ना ही टी वी
मैं तो सुनूंगा तेरी ज़ुबानी,
आज सुनाओ नयी कहानी

वीर जो बालक,मान जो पाते,
इतनी हिम्मत कहाँ से लाते
बहादुरी में मैडल पाते,
कैसे साहस वो कर पाते !

नानी मुझको वीर बना दो ,
विवेकानंद सा धीर बना दो,
देश का नाम  करूँ मैं ऊँचा
ऐसी तुम शमशीर बना दो।

वीरों की सुनूंगा कहानी,
जो रट  जाए मुझे ज़बानी
बनूंगा सच्चा हिन्दुस्तानी ,

जिसने हार कभी ना मानी।

Written for the magazine -The Kids Times.