Sunday, November 18, 2018

मेरे फौजी भाइयों ...



मेरे फौजी भाइयों ...

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जीवित हैं हम कि सीमा पे 
प्रहरी हो तुम  निर्भीक निडर,
आश्रित हैं हम कि सांसें गिरवी 

हैं ,न सोते तुम थक कर!

शर्मिंदा है कि इस पर  भी 

हम जश्न मनाते आये दिन
वहां रहते तुम चट्टानों में 
सारी सुख सुविधाओं के बिन।

यहां ज़िक्र हमेशा होता है

 नेताओं और अभिनेताओं का
ना हार चढ़े ना ही थाल सजे 
बस रक्त बहे  विजेताओं का।

हम याद तुम्हें तब करते हैं
जब आंधी तूफान आते हैं
जब बाढ़ में बहते जन जीवन
तुमको ही सहारा पाते हैं।

इन कंधों ने दुनाली ही नहीं
बेबस लोगों को उठाया है
इन हाथों ने मचाने  नहीं
नदियों पे भी बांध बनाया है।

हर रोम रोम अनुगृहित है बस
करे ईश्वर से पुकार यही
दो समझ अमन की देशों को
युद्ध की कोई दरकार नहीं।

पथराती आंखे मांओं की 
जो बाट तुम्हारी जोहती हैं
वो आंखों के तारे लौटें कब
हरदम ये सोचा करती हैं।

अमन और शांति विश्व मे हो
तो सेना राष्ट्र निर्माण करे
गोली बंदूकें त्यागे और
कर्मठ भारत पर मान करे।

Saturday, September 8, 2018

*हिंदी-भाषा हृदय की*

।*हिंदी-भाषा हृदय की*।
             -सुनीता राजीव

हिंदी भारत के माथे की
सौभाग्य सजी सी बिंदी है,
जो कभी गंगा सरीखी थी
आज हुई कालिंदी है।

भारतेंदु जी ने चेता था,
निज भाषा की कीमत जानो
उन्नति के पथ पर बढ़ना है
तो  महत्व हिंदी का जानो।

है विश्व हमारा कुटुम्ब मगर
हर जन ये कभी भी भूले ना,
ले चले साथ चाहे अंग्रेज़ी ,
पर अपनी बोली भूले ना ।

सम्मान हृदय में जब तक कि
अपनी भाषा का होगा ना,
तो स्थान विश्व में, कुछ भी करो,
निज देश का तब तक होगा ना।

चाहे चीन कहो जापान कहो
कहो बात फ्रांस या जर्मनी की
है सफल ये देश कि इन सब ने
जानी कीमत निज भाषा की।

कई वर्षों से आज़ाद हैं हम
पर हिंदी अब भी सकुचाती है,
अपनी ही भूमि में फिर क्यों
पनप नहीं वो पाती है?

कोई दोष है दृष्टिकोणों में
जो हीरा देख नहीं पाते,
जब विश्व हिंदी को सीख रहा
हम हिंदी नहीं सिखा पाते।

करो प्रेम सभी भाषाओं से
ये भाषाएं तो बहने हैं
हृदय से हिंदी को धारो
यही भाव हृदय के गहने हैं।

नहीं मिलती नौकरी हिंदी से
ऐसी तुला में मत तोलो,
हिंदी है हीन-ये सोच कभी
नन्हे बच्चों में मत घोलो।

गर्व उसी मस्तक को है
जो स्वाभिमान से जीता है,
हिंदी का प्रेमी विनम्र तो है ,
पर राज हृदय पर करता है।

चौदह सितंबर को हर वर्ष
यदि एक दिवस हम जागेंगे,
इस कालिंदी को गंगा सम
शिव जटा पे कैसे धारेंगे?

शिव जटा पे कैसे धारेंगे?




Monday, August 27, 2018


सोशल मीडिया का सामजिक दायित्व
                                    -सुनीता राजीव

एक क्लिक आपको दुनिया के किसी भी कोने से जोड़ सकता है  I विचारों को पृथ्वी के दूसरे भाग में पहुंचाने में आज पलक झपकने का समय भी नहीं लगता।सोशल मीडिया ने जनमानस को समसामयिक मुद्दों से जोड़ने का अद्भुत भूमिका निभाई है I समाचार आपको तथ्यों की जानकारी देते हैं पर सोशल मीडिया आपके विचारों को गढ़ने का अनमोल रोल निभाती है।
फेसबुक , इंस्टाग्राम से ले कर  व्हाट्स एप्प तक ,ब्लॉग से ले कर यू ट्यब तक , सभी की उपयोगिता और नशे ने हमारी जीवन के कई घंटे अपने नाम नीलाम कर रखे हैं।
व्हाट्स एप्प के छोटे बड़े सन्देश,दो या तीन मिनट के वीडियो ,हमारी सोच ही बदल देते हैंI मई २००९ को भारत में व्हाट्स एप्प आया और आज के समय में १५ मिलियन लोग भारत में ही इसे इस्तेमाल कर रहे है। इसके पहले २६ सितम्बर २००६ से फेसबुक ही हर दिल अज़ीज़ था I

विवेकानंद ने कहा था-"दूसरों से  वो सब सीखो जो उनके पास अच्छा है ,पर उस शिक्षा को अपने परिवेश के अनुसार ढालो , उनकी परछाईं बन कर ना रह जाओ। " आज सोशल मीडिया को इस कथन का मर्म पहचानना है। देश में अलगाववादी ताकतें  सोशल मीडिया को अपना हथियार बना कर ऐसे बीज बो रही हैं कि  आज का युवा भी दिग्भ्रमित होता जा रहा है। लोगों के विश्वास पर गाज तब गिरी  जब अप्रैल २०१८ के फेसबुक के ८७ मिलियन चहेतों को पता चला कि  उनकी निजी जानकारियों को आम कर दिया गया है। सोशल मीडिया के ठेकेदार अरबों कमा रहे हैं पर अपनी ज़िम्मेदारियों के प्रति सजग नहीं हैं.

समाज में क्या वीभत्स हो रहा है ,कितने षड़यंत्र रचे जा रहे हैं , कहाँ के अध्यापक अज्ञानी या क्रूर हैं -ऐसे वीडियो और मैसेज बहुत जल्दी वायरल होते हैं।  पर समाज में क्या भला हो रहा है, उसके सन्देश कभी कभी ही आते हैं।

सोशल मीडिया आज हमारे जीवन का अपरिहार्य अंग है। इस अंग को अपना वजूद पूरे शरीर के स्वास्थय  के लिए उपयोगी बनाना होगा।  ज़रा सी बीमारी हमारे जीवन को दुष्कर बना देती है। बहुजन  हिताय बहुजन सुखाय के आदर्श को अपनाने पर ही  सोशल मीडिया रामबाण का काम कर सकती है अन्यथा आने वाले समय में ये रोग का रूप ले लेगी।