Sunday, June 4, 2017


हैरान





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हैरान
दक्षु हैरान सा इस कमरे से उस कमरे में घूम रहा था। नन्ही आँखें जितना कमरा नज़रों में भर सकती थी ,भर ले रहीं  थीं। पर सारे कमरे खाली थे। अपने नन्हें पैरों से सीढ़ियां धीरे धीरे उतर कर वो पीछे के कमरे में भी गया -पर वहां भी वही -अस्त व्यस्त सामान , जहाँ तहाँ नए पैकेट और शादी वाले कपडे -कपड़ों से बिछड़े छोटे छोटे टैग - ज़मीन पर बिखरे हुए।  कुछ पल को दक्षु भूल गया की वो यहाँ क्यों आया था। वो झुक कर बिखरे हुए टैग उठाने लगा - एक , दो, तीन, .....
 तभी पीछे से आवाज़ आयी - 
दक्षु  s s s ....
वो  पलटा और उसे याद आया कि  वो तो सारे लोगों को ढूंढने यहाँ आया था  जो सुबह बैठक में कितना नाच गा  रहे थे। उसकी मम्मा कितनी सुंदर लग रहीं थीं -वो दुनिया की सबसे सुंदर लड़की थीं और मम्मा को देखते रहने पर भी उसका जी नहीं भरता था। सुबह ही तो इत्ते सारे लोगों से घर भरा हुआ था - ढोलक बज रही थी , इत्ती सारी  दीदियाँ नाच रहीं थीं और सोनू मामा को सब पीला पीला कुछ पोत रहे थे।  उसे डर भी लगा था, कहीं सब उसे भी तो नहीं पोतेंगे !
कहाँ गए सब लोग?
दक्षु  s s s ................
दक्षु जल्दी से पलटा और जल्दी जल्दी वापस चला।  शायद आ गए सब लोग। वो तो दीवार के साथ चल रही चींटियां ही देख रहा था और बुआ जी ने उसे थोड़ा सा आटा  भी दिया था चींटियों के लिए - इतने में सब लोग कहाँ चले गए ?मम्मा  भी ?
दक्षु  s s s ................
 जल्दी जल्दी चढ़ने  के प्रयास में हाथ से दो टैग भी गिर गए। सीढ़ियां चढ़ने में उसे अभी भी समय लगता था। रुआंसे मन से उसने एक तो उठा लिया। एक हाथ से छूट कर दो सीढ़ी नीचे जा गिरा था। बुआजी कित्ती जोर से चिल्लाती हैं। मैं आ तो रहा हूँ। रूकती क्यों नहीं?
डर लग रहा है अब तो।  बुझे मन से , पनीली आँखों से उसने ऊपर देखा , कोई भी नहीं था। पता नहीं बुआजी कहाँ से आवाज़ दे रहीं थीं। घर खाली कैसे हो गया ?मम्मा  ने तो कहा था सोनू मामा  की शादी में जा रहें हैं।  कित्ते सुंदर  सुंदर कपड़े अटैची में डाले थे उन्होंने।  सोनू मामा  की शादी नहीं होगी क्या?
मम्मा कहाँ गयी ?

दक्षु इधर आओ ना -खीजी सी बुआजी बोलीं।
बुआजी , मम्मा कांये ? 
मम्मा पार्लर  गयी है बेटा - अब्बी आ जाएगी। 
क्यों गयी है पालर ?-दक्षु भी खीजा सा बोला। 
शादी में जाना है ना बेटा !अब्बी आ जाएँगी। 
हम कब जायेंगे शादी में ?
शाम को बेटा ! आजा जल्दी से दुधु पी ले - फिर मैं तुझे तैयार कर दूँ।
मम्मा कब आएगी?

रुलाई फूट पड़ी दक्षु की.
कित्ता झूट बोलती हैं बुआ जी , मम्मा जब भी पालर जाती है , कभी भी जल्दी नहीं आती। बड़ा गुस्सा आता था मम्मा पे ,जाने कैसी लगने लगती थीं।  इत्ती सुंदर तो थी पर कित्ते सारे रंग लगा लेती थी मम्मा पालर जा के। उनकी आँखे  चमकीली चमकीली लगने लगती थीं। फिर वो दक्षु को गोद में भी नहीं उठाती थीं। 
सब ख़राब हो जायेगा बेबी - ऐसा कह कर नीचे उतार देतीं थीं. टीवी वाली सारी आंटियों जैसी लगने लगती थीं मम्मा। अच्छी भी गन्दी भी। 

फिर भी वो मां को ही देखता रहता  था।  मम्मा बिलकुल परियों की रानी जैसी हो जाती थी। नए कपड़े , नए गहने - पर कित्ते चुभते थे उसे मम्मा के नए कपड़े। फिर सब लोग मम्मा को खींच खींच के ले जाते। कितना सुंदर नाचती थी मम्मा।  सब देखते ही रह जाते थे। पर उसे बिलकुल अच्छा नहीं लगता था।  कभी कोई उसे गोद  में ले लेता कभी कोई। उसे कित्ता बुरा लगता था और वो दाढ़ी वाले अंकल जो हमेशा पान खाते रहते थे ,बार बार उसे पारियां करते। और  उनके बदबू वाले दोस्त जो उसे हमेशा और पारियां करते थे , मुहं पे भी। कित्ती बदबू आती थी उनसे।  वो चीखता रहा था -मम्मा  मम्मा। 

और मम्मा सबका साथ नाचते जा रही थी। डांस करते ही जा रही थी। उस दिन मम्मा उसे सबसे बुरी लगी थी।  अब फिर मम्मा पालर गयी हुई है। 

दक्षु , दुधु फिनिश करो जल्दी !

हम जल्दी नहीं करेंगे बुआजी।

रुआंसे दक्षु ने कहा।  यही उसका विद्रोह था - क्यों करे वो जल्दी फिनिश ?नहीं करना उसे जल्दी फिनिश। कोई उसे कुछ बताता ही नहीं है।सुबह भी मम्मा उसे उठाते ही कहने लगीं थीं , जल्दी करो जल्दी करो। दक्षु उठो ,जल्दी करो , सोनू मामा की हल्दी में जाना है। 
पता नहीं ये हल्दी क्या होती है?
मम्मा , हम तो सोनू मामा की शादी में आएं हैं ना !तो सोनू मामा की हल्दी क्यों हो रही है ?शादी क्यों नहीं ?

हैरान दक्षु समझ नहीं पा रहा था ,कोई उसे कुछ बताता क्यों नहीं है। 

हल्दी की रसम होती है दक्षु !

अब लो , 'रसम' माने ?
मम्मा , भी ना ! 
दुधु फिनिश करो जल्दी !
​I​
 फिनिश करते ही पॉट पे बिठा देगी मम्मा। उसे जल्दी जल्दी पॉटी नहीं आती। मम्मा हर रोज़ बोलती रहती है -जल्दी करो जल्दी करो।
 हर समय क्यों जल्दी करो ?
दक्षु बेबी !गुड बॉय ! जल्दी कल्ले बेटा !फिर आपको तैयार कर दूँ। 
दक्षु और कुनमुनाया। बुआजी की कोई बात नहीं सुहा रही थी उसे। हर कोई उसे गुड बॉय क्यों बनाना चाहता था ?
नहीं बनना  उसे गुड बॉय।  बड़ा गुस्सा आता था उसे इस गुड बॉय पर। कहीं वो गुड बॉय मिले तो मोनी चाचू वाली दम्बूक से दो गोली  मार दे - ठांय ठांय। इस गुड बॉय की वजह से कित्ती डांट  पड़ती थी उसे। जिसको देखो  उसे गुड बॉय बनाना चाहता है। नहीं बनेगा वो गुड बॉय , चाहे बुआजी बोलें  चाहे मम्मा !
और दुधु भी फिनिश नहीं करना उसे-

बुआजी , मम्मा कब आएँगी?

कितना बड़ा धोखा हुआ उसके साथ। सोनू मामा  की शादी का बोल के लाईं थीं अब घर में कोई भी नहीं है।  सारा घर खाली पड़ा है। सब लोग जाने कहाँ चले गए , मम्मा भी। 
कोई उसे कुछ भी नहीं बताता , सब कोई कुछ कुछ करते जाते हैं  पर उससे नहीं कहते।  मम्मा भी नहीं। कुछ समझ नहीं आ रहा था दक्षु को।  पापा साथ नहीं आये , नहीं तो उनसे पूछता।  जब इलाहाबाद जायेगा तो शिकायत लगाएगा। 

रोते नहीं बेटा ,अरे मम्मा तो कितनी सुंदर अचकन लायी है दक्षु की ! बड़ा राजकुमार लगेगा हमारा दक्षु। 

तभी सोनू मामा  दिख पड़े,बड़े चमक रहे थे -

स्वाति,मेरी ड्रेस  कहाँ है ?ज़रा जल्दी निकाल दो।  वैसे फायदा नहीं है - ये लोग पार्लर से लौटी कि नहीं ?

सब बड़े लोग जल्दी जल्दी करते रहते हैं। अब मम्मा भी आ जाएँगी। वो मम्मा से ही तैयार होगा , बुआजी से नहीं। नीचे से बैंड और पौं पौं की आवाज़ें आने लगीं।  सब कुछ भूल के दक्षु दौड़ा बालकनी में. अब होगी सोनू मामा  की शादी ,सच्ची में होगी। नीचे  लाल सुनहरी ड्रेस वाले बैंड  वाले खड़े थे। दक्षु अचानक अधीर सा हो गया।  
बुआजी , बुआजी , हमें अचकन पहना दीजिये , शादी होने वाली है। 

नीचे से बैंड  वालों की रिहर्सल की आवाज़ें आ रहीं थीं। 
दक्षु ताली बजाने लगा , सोनू मामा की शादी सच्ची मुच्ची  होगी। 
नीचे एक बड़ी सी नीली कार आकर रुकी। कार का हॉर्न सुनते ही दक्षु फिर से बालकनी में भागा।  चारों दरवाज़े धड़ धड़ खुले।  सबमे से सजी धजी लड़कियां उतरीं।  और एक नीले ड्रेस में परी से भी सुंदर लड़की उतरी।अरे , ये तो मम्मा है !

मम्मा ,मम्मा। ........ 
आप हमें तैयार करिये मम्मा , कहाँ चली गयीं थी आप। हम कब जायेंगे शादी में ?
आओ जल्दी से तैयार करूँ बेटा , जल्दी से। ...... 
दक्षु एक पालतू मेमने की तरह मां के सुनहले दुपट्टे को थामे पीछे पीछे चलता गया।  सब भाग रहे थे।  बैंड  ज़ोर ज़ोर से बज रहा था।  दक्षु हैरान था, कोई उसे कुछ बता क्यों नहीं रहा है...