Sunday, November 18, 2018

मेरे फौजी भाइयों ...



मेरे फौजी भाइयों ...

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जीवित हैं हम कि सीमा पे 
प्रहरी हो तुम  निर्भीक निडर,
आश्रित हैं हम कि सांसें गिरवी 

हैं ,न सोते तुम थक कर!

शर्मिंदा है कि इस पर  भी 

हम जश्न मनाते आये दिन
वहां रहते तुम चट्टानों में 
सारी सुख सुविधाओं के बिन।

यहां ज़िक्र हमेशा होता है

 नेताओं और अभिनेताओं का
ना हार चढ़े ना ही थाल सजे 
बस रक्त बहे  विजेताओं का।

हम याद तुम्हें तब करते हैं
जब आंधी तूफान आते हैं
जब बाढ़ में बहते जन जीवन
तुमको ही सहारा पाते हैं।

इन कंधों ने दुनाली ही नहीं
बेबस लोगों को उठाया है
इन हाथों ने मचाने  नहीं
नदियों पे भी बांध बनाया है।

हर रोम रोम अनुगृहित है बस
करे ईश्वर से पुकार यही
दो समझ अमन की देशों को
युद्ध की कोई दरकार नहीं।

पथराती आंखे मांओं की 
जो बाट तुम्हारी जोहती हैं
वो आंखों के तारे लौटें कब
हरदम ये सोचा करती हैं।

अमन और शांति विश्व मे हो
तो सेना राष्ट्र निर्माण करे
गोली बंदूकें त्यागे और
कर्मठ भारत पर मान करे।