Thursday, March 5, 2020

मोदी जी ,मेरा उत्तर ये....

जब लौह पुरुष थे खड़े किए
इस देश को दृढ़ता देने को
तो प्रश्न कहाँ उठता है पार्थ
किसी भी रण को छोड़ने का!

हो पार्थ सारथी तो वही रहो
भारत की बुलंद आवाज़ हो तुम
जो लांघ गया सौ सागर भी
दिग्दृष्टि वाले बाज़ हो तुम।

रणछोड़ नहीं, हो कर्म वीर !
तो मुख मोड़ने की मत सोचो
देश का भाल रहे ऊंचा
तरकीब  नवेली सब सोचो।

रहो मुखर, कि मौन नहीं समझे
ये जग है बेसुर तानों सा ,
हो राग शांति और अमन का तुम
उत्तर हो तीर कमानों का।

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