हमसफ़र हमकदम ना हो
तो हाथ में हो हाथ क्यों ?
जब ताल में कोई सम ना हो
तो सुख है क्या ? तो साथ क्यों ?
हरियाला मन सुकड़ा हुआ
खड़ा क्यों जाने ठूंठ सा ?
था प्यार सच जो कल तलक
लागे क्यों जाने झूठ सा ?
नज़र घुमा लूं जिस तरफ
गहराते इतने सवाल क्यों ?
चला था खोजने किरण
तो अंधियारे से बवाल क्यों ?
नयी सुबह की रौशनी
देती है फिर धोखा नया ,
बिखरता ताश का वो घर
कोशिश नाकाम कर गया
जिस घर में देखूं अश्क है
जिस घर में देखू आग क्यों ?
हमसफ़र हमकदम ना हो
तो हाथ में हो हाथ क्यों ?