चाहे अफ़सोस करें चाहे उदासी ओढें
सभी लम्हों ने मिल के साज़िश की है
आँखों की गहेराइयो में भी दुःख है कहीं
और इक इंसान ने फिर ख्वाहिश की है ?
यादों का क्या है , आज है कल नहीं,
कोई सूरज है की रोज़ चमकेंगी ?
फिर गिरेगी हालातों की बिजली ,
यादों की क्या बिसात , कितना दम लेंगी ?
धीरे धीरे कहीं कुछ घुलता है क्यों?
ना चाह के भी कोई छलता है क्यों?
कहीं तो होगा मेरे भरोसे का किनार ,
दिल दरिया सा फिर मचलता है क्यों?
kya kahe ki shabd naa kaaphi se hai
ReplyDeleteehsaas bhi ab tau khone lage hai
zindagi kaa suraj chamkegaa, lagta hai
keena hame bhi milega , lagta hai
बहुत शुक्रिया आपका और आपके शब्दों का !
Deleteकवि के शब्द बहुत कीमती होते हैं , धन्यवाद