है लाज़मी क्यों , दर्द हो
दिल में , तभी कोई लौ जगे ?
है लाज़मी क्यों पीढ़ से
ही सुर बजे , सरगम सजे ?
है शर्त क्यों रचना कि ये
कि जन्म लेगा जीव तब ,
जननी का तन विदीर्ण हो
और वेदना से तपे वो जब ?
हर सृष्टि को क्यों चाहिए
इक गर्भ , दुःख का घट हो जो ?
हर कविता को क्यों चाहिए
कवि हृदय , आहत हो जो ?
सुख में कलम उठती नहीं ,
दुःख में कलम रुकती नहीं
है लाज़मी क्यों शब्दों में
हर टीस का क्रंदन सजे ?
है लाज़मी क्यों , दर्द हो
दिल में , तभी कोई लौ जगे ?
है लाज़मी क्यों पीढ़ से
ही सुर बजे , सरगम सजे ?
31.5.11
31.5.11