सड़क पे थूकें, हवा में नारे
ऐसा देश हमारा है।
नियम न माने फिर भी कोसे
कैसा देश संवारा है।
देश प्रगति की बात जो करते
वो दुश्मन कहलाते हैं।
भरष्टाचार को धुआं दिखाते
वो चोर कहलाते हैं।
युवा दिग्भ्रमित करके रोटी
अपने हित की सेंकते हैं।
चीख चीख कर दुनिया से वो
रक्षा सौदे परखते हैं।
अपना हित जब लगे जो घटने
अपनी सोच से उठते नहीं
डूबोगे फिर उसी गर्त में
आज भी अगर जागे नहीं।
ऐसा देश हमारा है।
नियम न माने फिर भी कोसे
कैसा देश संवारा है।
देश प्रगति की बात जो करते
वो दुश्मन कहलाते हैं।
भरष्टाचार को धुआं दिखाते
वो चोर कहलाते हैं।
युवा दिग्भ्रमित करके रोटी
अपने हित की सेंकते हैं।
चीख चीख कर दुनिया से वो
रक्षा सौदे परखते हैं।
अपना हित जब लगे जो घटने
अपनी सोच से उठते नहीं
डूबोगे फिर उसी गर्त में
आज भी अगर जागे नहीं।